Tuesday, April 5, 2011

जय दुर्गे मैया


(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)


जय अम्बे मैया,
जय दुर्गे मैया,
जय काली,
जय खप्पर वाली।

वरदान यही दे दो माता,
शक्ति-भक्ति से भर जावें;
जीवन में कुछ कर पावें,
तुझको ही शीश झुकावें।

तू ही नाव खेवइया,
जै अम्बे मैया।

सिंह वाहिनी माता,
दुष्ट संहारिणि माता;
जो तेरे गुण गाता,
पल में भव तर जाता।

तू ही लाज रखैया,
जय अम्बे मैया।

महिषासुर मर्दिनि,
सुख-सम्पति वर्द्धिनि;
जगदम्बा तू न्यारी,
तेरी महिमा भारी।

तू ही कष्ट हरैया,
जय अम्बे मैया।

(रचना तिथिः रविवार 12-10-1980)

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जय जय अम्बे मैया।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

समयानुकूल रचना...

Rahul Singh said...

बढि़या रचना.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

सिद्धहस्त विभूतियों की रचनाएँ जीवन में आत्मसात करने के लिए होती हैं.बाबूजी की रचनाओं को आपके ब्लॉग में पढ़ कर आनंद-विभोर हो जाता हूँ.आप बधाई के पात्र हैं.